दुई शब्द
बड़ा सोचण वळी बात या च, कि इथगा बोलि होण का बाद भि गढ़वाळ मा अभि तक लिपि का रुप मा सरकार न मान्यात नि देई। अर अभि तक ना ही हमरि बोलि को व्याकरण ही बणये गै छौं,
दुई शब्द
बड़ा सोचण वळी बात या च, कि इथगा बोलि होण का बाद भि गढ़वाळ मा अभि तक लिपि का रुप मा सरकार न मान्यात नि देई। अर अभि तक ना ही हमरि बोलि को व्याकरण ही बणये गै छौं,
इलै ईं बात को होण थुड़ा मुश्किल छौ। जै की वजै से ईं बोलि तैं मान्यता नि मिली, मगर अब्ब ईं बोलि की व्याकरण च।
अर बोलि की व्याकरण नि होण की वजै से आज का बगत मा हम गढ़वळी बुलण वळो न अपणी बोलि तैं छोड़ी के दूसरी भाषाओं की तरफा अपणु ध्यान कैरियालि।
ज्यां की वजै से हमरि मातृ भाषा हरचण लगि गै।
हमरु येईं प्रयास च, कि हमरि बोलि तैं भि मान्यता दिये जौ।